आँखों ही आँखों में उनसे, खुलकर सब कह जाना होगा। आँखों ही आँखों में उनसे, खुलकर सब कह जाना होगा।
उसने ही जग को जीता है, कुछ कर जाने की ठानी है। उसने ही जग को जीता है, कुछ कर जाने की ठानी है।
कुछ कहना चाह रही है अगर ज़ुबाँ, तो खुलकर उसे अपनी बात कहने दो। कुछ कहना चाह रही है अगर ज़ुबाँ, तो खुलकर उसे अपनी बात कहने दो।
तुम्हारी वो छुअन मैं आज भी बिसरा नहीं पाया। तुम्हारी वो छुअन मैं आज भी बिसरा नहीं पाया।
मुझको भी अपनी 'शरण' दो, मुझको दो अपनी 'लगन। मुझको भी अपनी 'शरण' दो, मुझको दो अपनी 'लगन।
समन्वय का यह भाव ही संपूर्ण सृष्टि की ज़रूरत है। समन्वय का यह भाव ही संपूर्ण सृष्टि की ज़रूरत है।